History
महाविद्यालय: एक विहंगम दृष्टि
स्वतंत्रता आन्दोंलन ने जैसे ही स्वराज का संकल्प लिया, राष्टवीरों के मन में सम्पूर्ण निर्माण एवं विकास की बात आने लगी। इन्हीं उदेश्यों की पूर्ति हेतु पूज्य संस्थापक पं0 अभयजीत दुबे नें वर्ष 1937 में सार्वजनिक पुस्तकालय श्री गीता साहित्य कुटीर की स्थापना किया। उपेक्षित महिला शिक्षा को दृष्टिगत रखकर कन्या पाठशाला एवं वृद्धि क्रम में हिन्दुस्तानी मिडिल स्कूल 1953, इण्टरमीडिएट कालेज 1956 में स्थापित किया। ग्रामीण क्षेत्र में उच्च शिक्षा की महती आवश्यकता को दृष्टिगत रखकर एवं वैज्ञानिक शिक्षा को आधार मानकर वर्ष 1971 महाविद्यालय का सृजन हुआ। कला संकाय वर्ष 1982 में अस्तित्व में आया। उच्च शिक्षा प्रदान करने का संस्थापक जी का चिन्तन महाविद्यालय को स्नातकोत्तर महाविद्यालय में परिवर्तित कर दिया और 1993 से स्नातकोत्तर स्तर पर कक्षायें संचालित हुयी।
रोजगार परक पाठयक्रमों की महत्ता को दृष्टिगत रखकर पूज्य संस्थापक जी नें प्रेरणा दिया, परिणामस्वरूप वर्ष 1997 में औद्योगिक रसायन एवं वर्ष 2003 में जैव प्रोद्योगिकी की मान्यता प्राप्त हुयी। पूज्य संस्थापक जी का संकल्प कि महाविद्यालय बहुआयामी हो, उसी क्रम में वर्ष 2007 में शिक्षक- प्रशिक्षण विभाग की स्थापना हुयी। महाविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा रोजगार परक पाठयक्र्रम को संचालित करने की स्वीकृति भी प्राप्त है।
यष:षरीर संस्थापक पूज्य पं0 अभयजीत दुबे जी की समृद्ध ग्राम:समृद्ध भारत की संकल्पना जो कुटीर आदर्श के साथ प्रारम्भ हुयी। आज वह कुटीर स्नातकोत्तर महाविद्यालय विज्ञान संकाय में 07 विषयों, कला संकाय में 06 विषयों तथा स्नातकोत्तर पर 02 विषय एवं शिक्षा संकाय पूज्य संस्थापक के सूक्ष्म प्रेरणा के साथ 40 योग्य, शोधरत एवं प्रतिभावान शिक्षक एवं 32 ईमानदार, श्रमनिष्ठ कर्मचारियों की कर्मनिष्ठा से प्रगति पथ पर अग्रसर है।